ऐतिहसिक एवं धर्मनिपेक्ष नगर आरंग का संक्षिप्त परिचय
आरंग नगर का इतिहास द्वापर युगीन महादानी राजा मोरध्वज से प्रारंभ होता है | ऐसी मान्यता है कि भगवान श्री कृष्ण और नरअवतारी आर्य श्री रजा मोरध्वज की दानशीलता की परीक्षा लेने पहुचे | अपने आज्ञाकारी सुपुत्र ताम्रध्वज के शारीर को पराक्रमी सम्राट मोरध्वज और उनकी रानी ने आरा से चीरकर अपनी दानशीलता का परिचय देकर कृष्ण और अर्जुन को हतप्रभ कर दिया था | द्वापर युग में आरा से अपने सुपुत्र के अंग का विच्छेदन करने के कारण इस नगर का नाम आरंग पड़ा |
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से ३६ कि.मी. दूर स्थित यह नगर अपने गर्भ में अनेक ऐतिहासिक एवं पुरातात्विक अवशेषों को छुपाये हुये है | इतिहास